Attain काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi) Showcased By Kashinath Singh Conveyed As Booklet

मज नह आय इस पढन म मझ.

I don't know it didn't vibe with me that much, यह कतब अब तक क पड गई सब कतब स बलकल अलग ह अलग इस लए ह क लखक अपन पतर पर भषई भदरत क बझ नह सपत और यह सह मयन म नयय ह इन सर बत क लखक न कतब क आरभ म ह एक चतवन क रप म सपषट कर दय ह
"मतर, यह ससमरण वयसक क लए ह, बचच और बढ क लए नह और उनक लए भ नह ज यह नह जनत क असस और भष क बच ननदभजई और सलबहनई क रशत ह ! ज भष म गनदग, गल, अ१ललत और जन कयकय दखत ह और जनह हमर महलल क भषवद परम चतय क परयय कहत ह, व भ कपय इस पढकर अपन दल न दखए"

कश क असस सह मयन म कई उपनयस य कहन सगरह नह ह, यह एक यतर ससमरन ह ससमरण असस क असस स तलसनगर बनन क और एक यतर ससमरण क रप म हर व चतर परसतत करत ह, क कस जब आप आग बढत ह त कफ चज पछ छट जत ह इस बत क दरद लखक क ह ज इन पकतय म समन आत ह " त भइय, नगर क परयवरण चह जनक लए बगड ह, तलसनगर हर तरह क खतर स बहर यह ज हव ह, धप ह, ठड ह, पन ह वइरस ह, फगस ह, इनफकशन ह, रग ह लकन यह अगर बतल म ह, पलथन म ह, डबब म ह, पकट म ह, बजल क तर म ह त जनदग ह, सहत ह एकदम पयर कई मलवट नह जस जररत ह, जए ल आए कह स भ कस भ दकन स इसक लए सरफ पस चहए, पस कमन क हकमत चहए और यह हकमत नगर क हर आदम जनत ह ज नह जनत थ, व ज चक ह यह स, छड चक ह नगर "

इस कतब क पतर अपन शदध दश अदज स आपक हसत ह त वह वयगरमक शल आपक सचन पर मजबत करत ह

अगर उततर भरत क परवचल क समझन ह, वह क रजनतक, समजक, परवरक, आरथक बध क समझन ह त यह कतब जरर पढ "ज मज बनरस म, न परस न फरस म
'गर' यह क नगरकत क सरनम ह न सह, न पड, न जद, न रम! सब गर ! ज पद भय, वह भ गर, ज मर, व भ गर!



"दख कय ह सरफ अपन लए जन य दसर क दख स सख हन "



य सरफ एक कतब नह ह, इस पढत हए मझ ऐस लग जस म अपन बचपन क फर स ज रह ह
इस महन नगर "कश" क एक वश हत हए म य कह सकत ह क हमर लए कश कवल एक शहर नह ह , य एक जत जगत एहसस ह
समय स भ जयद परन इस नगर म जह लग
Attain काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi) Showcased By Kashinath Singh  Conveyed As Booklet
मरन आत ह ,वह हम जन क सभगय परपत हआ
म आश करत ह क इस पढत समय आप जवत महसस करग A sort of memoir based on real people the author knew amp possibly real conversations amp incidents.
The book haschapters covering various stories amp aspects of life at Assi, a residential area in Varanasi, by the Assi Ghat along the Ganges, which was later renamed Tulsinagar.


Ive mixed feelings about this book, I was impressed amp enjoyed the first “vyangya” I encountered, but was also slightly surprised by the first abusive word too, हर हर महदव क सथ भ क नर इसक सरवजनक अभवदन ह! And soon I discovered thats how the whole book is written in a sheer desi, “fakkad” Hindi, as a means to represent the true spirit of Assi and by extension Kashi Varanasi itself! And hence continuechapters of the alleged spirit of UP: lots of abuses, heated discussions on current affairs, politics, society, economy, unemployment etc.
, traditional addas at tea shops, religion amp the transformation of Kashi from a simple Ganga ghat to a place of capitalism promising to sell peace, tranquility, Yoga, the meaning of life, an escape but basically a luxurious life at throwaway prices for foreigners mostly Europeans.


The abundance of abuses amp politics are a bit of a turn off for many, but there are many folk songs, poetry or tukbandi including the Biraha, which are enjoyable to listen to in an audiobook.

One interesting aspect in this book is the existence amp identity of Kashi amp its people, Kashi has historically been a place of religious importance, and yet, despite the piety of its residents, they arent depited as religious fanatics.
This is shown in a hilarious incident where members of a national party try to ban a poetry event during holi, calling it antihindu.
The residents are shocked amp oppose it vehemently because poetry, “bhang” etc, are as much a vital part of Kashi as the Ganges and the ghats,

Eventually one cant help fall in love with Kashi, The citys magic mesmerizes the author, “भय, इस असस न समझ, यह जमबदवप क दलल ह” This conveys how Assi was once at the heart of ancient India Jambudweep term used to describe the kingdom of emperor Ashoka.


कश क असस करय नह परतकरय क कतब ह

करबन चरसढ चर पहल कश वशववदयलय क वशवनथ मदर परसर स कश क असस खरद थ कतब चर ह गई, कह रख क भल गय, कस क द द य कई उठ ल गय कछ सह स यद नह नषकरष य नकल क नह पढ गई अभ हल बच फर स कतब हथ लग और द बठक म समपन प गई

कश क असस स मर सकषतकर उस तरह स हआ जस सनतक क पहल सल क वदयरथय क ह सकत ह जनकर हई एक कतब ह गलय स सरबर, पहल पज पर मजद आइडटट करड क वयखय, कतब क वयखय करत ह वह उतसकत हम भ उठ, ऐस भ कतब ह इसक भ मज लय जए पर जब अभ इसक पढन क मक मल त बत अलग ह थ

कतब शर हत ह चटल अदज म, एक बत क परण लए हए क कस क भ न बखश जएग कतब म उपहसपरहस क लपट म जवपरमतम सब ह कतब रज, महरज, नत,मनसटर, कबर, तलस, हनमन और रजरम कस क नह छडत

पसतक पच खणडकथनकउपखयन म वभकत ह य सभ एक दसर स गथ हए, स टक असल करदर, असल जगह पर मजद, असल वरतलप क लख ह कतब हसयवनद स शर हकर, तकषण और मरमभद वयगय स हत हए कब गमभर ह जत ह कहन मशकल ह

असस क वषय म कह गय क य अदवतय सथन ह जस उसक वतत ह म उस आधर पर म इस बत स असहमत दरज करत ह वरन म मनत ह क कश क असस म दरज असस एक मनक ह, एक जनरक ढच जसम आम भरतय आदम बतयत ह, सचतसमझतचरच करत ह एक आदम खद क सथ, और उसक आसपस ह रह घटनओ स कस नपटत ह कश क असस उसक ववरण करत ह इसलए मन कह क य कतब करय नह परतकरय क कतब ह

एक छट स दकन म बठ आदम, जनक खद क जवन क उनक कई भरस नह, दश क लकततर क दश, धरम क धर, समज क सरगरभत सब कछ तय कर रह ह हर एक घटन क लए उनक पस ओपनयन ह, हर एक चज क लए उनक पस तरक कश क असस जह ईमनदर ह व ह बत क सपषट रखन म कश क असस रपक, मनक, उपमन क उपयग कर क बत नह करत, न इसक पतर करत ह बत, आरप, नरणय सब कछ द टक ह इसलए कतब कमयनसट, भजपइय, कगरसय, बभन, भमहर, अहर कस क गरयन म कसर नह छडत

कश क असस उस दर क वदनपरण समत क ससमरण ह जब बनरसक दशक क बजरवद स लडन क परयस कर रह थ जह कतब शर हत वकत पतर अभव म भ मसत ह, अत तक आतआत उस परसननत क ख दत ह समज परवरतन क वषय ह, और वषय ह वषयभग

सध सरल दशज भष म, वनद, कटकष स सरबर य कतब सधरण ढग स रजनतक अनतकत, मनषय क मल म मजद दगलपन और बजरवद क दतय क सबक समन रख पन म सफल ह

इस पढत समय परतकषण आशचरय हत ह क व असस कह ह व बनरस कह ह व लग कह ह ह ह व सरगरम पर वह बत यद आत ह

एक दन जन हग जरर
लछमन रम अमर ज हत, हत हल हजर
कमभकरन रवन बड जध, कहत हत हम सर
अरजन स छतर नह जग म, करन दन भरपर
भम जधषठर पच पड मल गए मट धर
धरत पवन अकस जइह जइह चनद सर
कहत कबर भजन कब करह ठढ कल हजर
एक दन जन हग जरर.